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Showing posts from September, 2018

डिज़ाइनर शीशा

सुमन अपने ऑफिस के कमरे में घुसते ही आश्चर्य चकित रह गया। बॉलकोनी का दरवाजा जो कि शीशे का था कुछ डिज़ाइनर लग रहा था। इतना सुंदर डिज़ाइन!! जैसे लग रहा था!! ढेर सारी बारिश की बूंदों को एक साथ मीला कर उनको एक फ्रेम में कैद कर दिया गया हो और सारे बूंद एक दूसरे से चिपक कर जुड़े हुए हैं। ध्यांन से दरवाजे में देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे नीले समुन्दर के पानी में किसी ने कंकड़ फेंका हो!! और जैसे ही कंकड़ पानी मे गिरे उसी समय समुन्दर का पानी सैकड़ो बूंद बनकर हवा में छलांग लगा दिए हों। उसी समय किसी कैमरामैन ने उन सारे बूंद!! जो हवा में थे उनका पिक्चर खींच लिया हो और उस पिक्चर को दरवाजे पर चिपका दिया हो। सुमन अभी इसी ख्यालों में खोया था तबतक ऑफीस में काम करने वाले रमेश ने ध्यान भंग किया। साहेब चाय कहाँ रखूं? "टेबल पर रख दो" आदेश के लहजे में सुमन ने बोला। फिर रमेश ने डरते हुए चाय टेबल पर रखा और गिड़गिड़ाते हुए सुमन से बोला" साहब मुझे माफ़ कर दीजिए, मैं सफाई कर रहा था तो गलती से शीशे के दरवाजे को झटके से बंद किया और शीशे के दरवाजे में क्रैक आ गया। ??? !! सुमन कुछ देर तो समझ नहीं पा