आखिर वो दिन आ ही गया!!! रजिया ने 6 बच्चों को जन्म दिया। सड़क के किनारे झाड़ियों में लेट के अपने बच्चों को दूध पिलाते हुए अनायास ही पिछले कुछ महीनों का दृश्य उसके आंखों के सामने चलचित्र की तरह चलने लगे।
जब वह 6 बच्चों को अपने गर्भ में लिए इस सड़क से उस सड़क घूमती रहती थी। कभी किसी घर के सामने पड़े कूड़े में मुँह मार के कुछ खाने के लिए ढूढ़ ही लेती थी। फिर कभी घर के रखवाले की नजर पड़ी तो डंडो की मार भी खानी पड़ी।
पूरे कालोनी में कोई भी देखता तो उसे मारने को दौड़ाता। फिर किसी तरह अपनी और गर्भ में पल रहे 6 बच्चों को लेकर छुपती छुपाती भाग जाती।
रात में कहीं भी सड़क के कोने में जगह मिले वहीं सो जाती। लेकिन कभी भी गहरी नींद में नहीं सो पाती। उसको डर लगता कि कहीं कोई उसको डंडे या पत्थर से उसके पेट पे नां मार दे। आखिर उसे अपने बच्चों को भी बचाना था। जो की अभी इस दुनिया में आये ही नहीं।
फिर सामने एक लड़का अपने बिलायती कुत्ते को सैर कराते हुए सामने सड़क पे दिखा, तो अचानक उसका ध्यान भंग हुआ। उसके बच्चे भी दूध पीना छोड़, कूदते हुए उस बिलायती प्यारे से कुत्ते के आस पास जा के लालच की नजरों में उसके साथ खेलने की चेस्टा करने लगे।
फिर बिलायती कुत्ते के मालिक "लड़के" ने उन 6 देशी कुत्तों को मार के भगा दिया। फिर बच्चे निराश हो कर अपने माँ रजिया के पास आ के लेट गए।
फिर रजिया उदास पड़े बच्चों को खुश करने की कोशिश करने लगी। और उनके साथ खेलने लगी। बच्चे भी माँ के साथ कूद कूद कर खेलने लगे । शायद उन्हें एहसास हो गया था कि उनकी ज़िंदगी और उस पालतू कुत्ते की ज़िंदगी में बहुत अंतर है , उनका मालिक है जो उन्हें खाना और सारी सुबिधाएँ देता है और बदले में उन्हें क़ैद कर के रखता है । लेकिन हमारी ज़िंदगी तो स्वतंत्र है । जहाँ जाना चाहे जा सकते हैं , जहाँ खेलना चाहे खेल सकते हैं ।
कुछ देर तक बच्चों के साथ खेलने के बाद रज़िया उनको सड़क के किनारे झाड़ी में बैठा कर खाने की तलाश में निकल गयी । और बच्चों को समझाती गयी कि जब तक मैं आ ना जाऊँ यहाँ से बाहर मत निकलना ।
- अरुण कुमार सिंह
जब वह 6 बच्चों को अपने गर्भ में लिए इस सड़क से उस सड़क घूमती रहती थी। कभी किसी घर के सामने पड़े कूड़े में मुँह मार के कुछ खाने के लिए ढूढ़ ही लेती थी। फिर कभी घर के रखवाले की नजर पड़ी तो डंडो की मार भी खानी पड़ी।
पूरे कालोनी में कोई भी देखता तो उसे मारने को दौड़ाता। फिर किसी तरह अपनी और गर्भ में पल रहे 6 बच्चों को लेकर छुपती छुपाती भाग जाती।
रात में कहीं भी सड़क के कोने में जगह मिले वहीं सो जाती। लेकिन कभी भी गहरी नींद में नहीं सो पाती। उसको डर लगता कि कहीं कोई उसको डंडे या पत्थर से उसके पेट पे नां मार दे। आखिर उसे अपने बच्चों को भी बचाना था। जो की अभी इस दुनिया में आये ही नहीं।
फिर सामने एक लड़का अपने बिलायती कुत्ते को सैर कराते हुए सामने सड़क पे दिखा, तो अचानक उसका ध्यान भंग हुआ। उसके बच्चे भी दूध पीना छोड़, कूदते हुए उस बिलायती प्यारे से कुत्ते के आस पास जा के लालच की नजरों में उसके साथ खेलने की चेस्टा करने लगे।
फिर बिलायती कुत्ते के मालिक "लड़के" ने उन 6 देशी कुत्तों को मार के भगा दिया। फिर बच्चे निराश हो कर अपने माँ रजिया के पास आ के लेट गए।
फिर रजिया उदास पड़े बच्चों को खुश करने की कोशिश करने लगी। और उनके साथ खेलने लगी। बच्चे भी माँ के साथ कूद कूद कर खेलने लगे । शायद उन्हें एहसास हो गया था कि उनकी ज़िंदगी और उस पालतू कुत्ते की ज़िंदगी में बहुत अंतर है , उनका मालिक है जो उन्हें खाना और सारी सुबिधाएँ देता है और बदले में उन्हें क़ैद कर के रखता है । लेकिन हमारी ज़िंदगी तो स्वतंत्र है । जहाँ जाना चाहे जा सकते हैं , जहाँ खेलना चाहे खेल सकते हैं ।
कुछ देर तक बच्चों के साथ खेलने के बाद रज़िया उनको सड़क के किनारे झाड़ी में बैठा कर खाने की तलाश में निकल गयी । और बच्चों को समझाती गयी कि जब तक मैं आ ना जाऊँ यहाँ से बाहर मत निकलना ।
- अरुण कुमार सिंह
Congrats to Razia.. very nice story.
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