सॉवन के जाने और वर्षा ऋतु के सुहाने मौसम में कुछ ना लिखे तो आनंद नहीं ।.. ——————————— कुदरत ने ना कहने की कोई चीज नहीं बनायी । ना पानी बहने को मना करती , और ना ही हवा । ना सूरज चमकने से मना करता , और ना ही अंधेरा आने को । ना ही सुख , ना ही दुख । कोई ना नहीं कहता । सब आते ही हैं, अपने समय से । ना नदी अपनी रुख़ बदलती , ना समंदर अपनी गहराई । पर्वत कभी झुकता नहीं , बादल कभी बरसने से मना नहीं करते । सब होता ही अपने समय से । जो आया है , वो जाएगा भी । इसको ना कोई बदला है , ना बदल सकता । सब होता ही है , अपने समय से । - अरुण सिंह
This blog is about Short Stories / कहानियां एवं लघुकथाएं , poems and motivational thoughts.