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प्राकृत की सुंदर आग़ोश



"प्राकृत की सुंदर आग़ोश"

"बहू! बहू सुमित का फ़ोन आया है कश्मीर से! लो बात कर लो! वट्स ऐप पर विडीओ कॉल किया है।" सुमित के पिता ने सरिता को आवाज़ लगते हुए बुलाया ।
सरिता आवाज़ सुनते ही दौड़ते हुए पिता जी के कमरे में गयी और फ़ोन ले के शर्माती हुई छत पे चली गयी ।
" अभी ४ घंटे पहले ही तो फ़ोन किए थे! क्या हुआ? सब ठीक है ना? ” आर्मी में रहकर भी घर वालों को इतना याद कर लेते हैं! अच्छा हुआ कि आप इस बार घर आए थे तो मोबाइल फ़ोन ले आए उससे हमारी बात हो जाती है । और ऐसे लगता है कि आप यहीं हैं । छत पे बैठती हुई सरिता ने सुमित से बोलती चली गयी ।
"हाँ सब ठीक है ! अभी मेरी शिफ़्ट समाप्त हुई और अपने क्वॉर्टर में आ गया तो सोचा तुम लोगों से बात कर लूँ । यहाँ का मौसम इतना अच्छा है की मैं क्या बताऊँ! चारो तरफ़ सुंदर सुंदर पेड़ और रंग बिरंगे फूल। जैसे लगता है अगर स्वर्ग कहीं है तो यहीं है । सोच रहा हूँ अगले महीने छुट्टी ले कर तुमको यहाँ बुलाऊँ और हम ख़ूब मज़े करेंगे कश्मीर की वादियों में। फिर यहाँ ढेर सारी झील हैं और उसमें सुंदर सुंदर बोट हैं जिसमें हम बैठ के ठंडी ठंडी हवाओ का आनंद लेंगे।"
सुमित एक साँस में सबकुछ बोले जा रहा था। जैसे लग रहा था वह सबकुछ सरिता को दिखा देना चाहता था जो वह रोज़ प्राकृत की सुंदर आग़ोश को देखता था।
" बिलकुल सही कह रहे हैं जी! मेरा भी मन करता है कि मैं आपके साथ घूमने के लिए आऊँ! लेकिन यहाँ अम्माँ पापा जी को भी तो देखना है । पिता जी की तबियत ख़राब रहती है और उनको छोड़ कर हम दोनो कैसे घूमने जा पाएँगे। एक काम करते हैं उनको भी ले चलेंगे ।" सरिता भी बोलती चली गयी ।
दोनो बातें करते रहे जैसे उनको समय का पता ही नहीं चला कब रात के ११ बज गए। अभी सरिता कुछ और बात करती तब तक फ़ोन के स्क्रीन पर एक ज़ोरदार धमाके के साथ आग की लपट दिखायी दिया और विडीओ कॉल बंद हो गया। फिर बहुत बार कॉल करने की कोशिश करती रही लेकिन कॉल नहीं लग रहा था। रोते चिल्लाते हुए नीचे गयी और अम्माँ पापा जी को बताने लगी की उनका फ़ोन नहीं लग रहा और अचानक कट गया था।
फिर एक घंटे बाद टेलिविज़न पर न्यूज़ आया कि कुछ आतंकवादी गिरोह ने आर्मी क्वॉर्टर पर बिस्फोटक से हमला कर दिया। जिस समय हमला हुआ उस समय अधिकतर जवान सो रहे थे।
न्यूज़ सुनते ही सरिता का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। रोते रोते सरिता बेहोश हो गयी।
- अरुण कुमार सिंह

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