“अंकल जी आप बग़ल वाले ख़ाली बेंच पर बैठ जाइए, जब आप का नम्बर आएगा तो मैं बुलाऊँगा। आप बहुत थके हुए लग रहे हैं!” बैंक के लोन पास करने वाले कर्मचारी ने 58 साल के गुप्ता जी को आदर पूर्वक बोलते हुए दूसरे कस्टमर का लोन आवेदन चेक करने में मगन हो गए। गुप्ता जी भी हाथ में फ़ाइल ले कर खाली पड़ी बेंच पर बैठ गए और अपने नम्बर का इंतज़ार करने लगे।
“अरे! गुप्ता ! यहाँ कैसे? क्या हुआ? क्या काम है?” आवाज़ सुनकर गुप्ता जी भी दूसरे तरफ़ मुड़े, तो सामने देखा कि उनके पुराने मित्र नरेश जो बैंक में कर्मचारी थे उनके तरफ़ आ रहे थे ।
अरे ! तुम ! इसी बैंक में काम करते हो क्या!! “हाँ अभी एक महीना हुआ बरेली से लखनऊ ट्रान्स्फ़र हुआ है।”
नरेश भी नज़दीक आते हुए गुप्ता जी को गले लगाते हुए बग़ल में बैठ गए और हाल चाल पूछने लगे। यार गुप्ता तुम्हारे बेटे का एंजिनीरिंग की पढ़ायी तो समाप्त हो गयी होगी इस साल ! बहुत ही होनहार लड़का है तुम्हारा ! सुना है उसकी नौकरी भी लग गयी है !
“हाँ उसका प्लेस्मेंट हो गया है , एक बड़ी कम्पनी से ऑफ़र आया है। लेकिन उसको मास्टर की पढ़ायी करने अमेरिका जाना है उसी के लिए लोन की अर्ज़ी देने आया हूँ।” “अरे यार तुम वैसे भी इतनी मुस्किल से पैसे का जुगाड़ करके उसकी पढ़ायी कराए और इस उम्र में फिर से लोन ले रहे हो ? मास्टर कोर्स की पढ़ायी तो वह यहाँ भी कर सकता है! विदेशों से लड़के पढ़ायी करने अपने देश में आ रहे हैं आज कल !” नरेश ने गुप्ता को समझाते हुए बोले।
“यार हमारे कॉलोनी के सबके लड़के अमेरिका पढ़ने जा रहे है, कुछ के बड़े लड़के तो वहीं पर रहने भी लगे हैं ! अब जब गौरव के सारे दोस्त आगे की पढ़ायी करने अमेरिका जा रहे हैं और कोई भी अपनी मिली हुई नौकरी अभी नहीं कर रहे हैं। तो गौरव भी कह रहा है कि नौकरी नहीं करेगा और वह भी आगे की पढ़ायी करने अमेरिका जाना चाहता है। तो अब वहाँ की पढ़ायी के लिए तो बहुत पैसे चाहिए ना ! इसी लिए लोन ले रहा हूँ। फिर जब गौरव की नौकरी वहाँ लग जाएगी तो लोन चूका देंगे।” गुप्ता जी नरेश को बताते चले गए।
“अरे यार! और लोगों के पास पैसे हैं, तो उनके लड़कों को अभी नौकरी करने की ज़रूरत नहीं है , लेकिन तुम्हारा तो ! … देख ले जो तुम्हें अच्छा लगे। बाक़ी मैं तो तुम्हारा दोस्त हूँ इस नाते समझा रहा था।” नरेश भी गुप्ता को समझाते हुए बोले।
गुप्ता जी भी बात काटते हुए बोले “नहीं यार ! अब हमें रहना तो उसी कॉलोनी में है ना ! तो समाज के अनुसार चलना पड़ेगा ना !”
लोन पास करने वाले कर्मचारी का आवाज़ आया “स्वदेश गुप्ता जी ! अपना आवेदन और सारे पेपर ले कर यहाँ आ जाइए ” फिर गुप्ता जी नरेश के पास से उठकर लोन पास करने वाले कर्मचारी के पास ख़ाली पड़े कुर्शी पर बैठ गए और एक-एक करके पेपर दिखाने लगे ।
- अरुण कुमार सिंह
Very true...
ReplyDeleteBohot badhiya 👌👌👌
ReplyDeleteThank you!
ReplyDeleteHello
ReplyDeleteThanks for your for share
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Thanks sir
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