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बाल्य शिक्षा

Get All Deals on one place


कुशल अपने बेटे राजू को डान्स स्कूल ले जाते समयघर से बस स्टॉप तक जाते हुए समझाए जा रहा था और तेज गति से बढ़ते हुए राजू का हाथ पकड़े चले जा रहा था ताकि कहीं बस छूट ना जाए  

राजू भी कुशल के साथ सरपट तेज गति से चले जा रहा था “देखो बेटा , चाहे कितना भी लेट हो जाए , रोड पार करते समय हड़बड़ातेनहीं हैं  हमेशा ज़ेब्रा क्रॉसिंग से ही रोड पार करना चाहिए। अगर ट्रैफ़िक लाइट हो तो जब तक ग्रीन लाइट ना हो जाए तब तक रोड पारनहीं करना चाहिए। रेड लाइट हो तो रोड पार करने का सोचना भी नहीं चाहिए और ग्रीन लाइट होने का इंतेज़ार करना चाहिए। समझे!” 


राजू भी कुशल के साथ चलते-चलते जवाब देता रहा 

हाँ पापा मुझे पता है। मैं ऐसा ही करता हूँ , आपने देखा नहीं ? अभी मैं रोड क्रॉस करने से पहले दाएँ-बाएँ देखा तभी रोड पार किया ! “ 

कुशल भी उसकी पिछली गलती को याद दिलाते हुए बोलता गया 

“ पिछले हफ़्ते  याद है ? मैं रोड के इस पार ही था लेकिन तुम दूसरे तरफ़ भाग गए थे !” 


राजू भी जवाब तैयार रखा था 

“ हाँ उस समय रोड ख़ाली था तभी मैं पार कियामुझे रोड पार करने का नियम पता है , आप चिंता मत कीजिए ” 

हाँ मुझे पता है कि तुम्हें सारे नियम पता है लेकिन हमारा फ़र्ज़ है अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देना तो इसी लिए याद दिला रहा हूँ  

“ हाँ पापा ठीक है मैं याद रखूँगा और ध्यान भी दूँगा “ 

राजू  भी हाँ में हाँ मिला दिया ताकि पापा अब और ज्ञान देना बंद कर दें।

बातें करते करते बस स्टॉप  गया  और समय से बस भी मिल गयी   स्टॉप के बाद दूसरी बस बदलनी थी और वह भी रोड के दूसरीतरफ़ से  बस स्टॉप आते ही कुशल राजू का हाथ पकड़ कर उतारने लगा  


“ पापा मेरा हाथ मत पकड़िए मैं ख़ुद बस से उतर जाऊँगा


कुशल भी राजू का हाथ छोड़ दिया लेकिन ध्यान देता रहा ताकि सही से उतर जाए 


जैसे ही दोनो बस से उतरे तब तक दूसरी बस रोड के उस पार बस स्टॉप पर  रही था  


फिर कुशल ने राजू के तरफ़ देखते हुए बोला 

“ बस  गयीजल्दी चलो नहीं तो छूट जाएगी और रोड ख़ाली देख कर कुशल तुरंत रोड पार कर गया ताकि बस छूट ना जाए  “

पीछे मुड़ कर देखा तो राजू अभी रोड के उस तरफ़ ही था और ट्रैफ़िक लाइट ग्रीन होने का इंतेज़ार कर रहा था 


ग्रीन लाइट होने पर राजू रोड पार करके आया  कुशल और राजू दोनो बस में चढ़ गए  कुशल शांति पूर्वक सीट पर बैठ गया और राजूकनखियों से कुशल के तरफ़ देख़ता रहा और मंद-मंद मुस्कराता रहा 

  • अरुण सिंह 

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