शहर के बाहर , शोर शराबे से दूर एक शांत कॉफ़ी हाउस के अंदर गया ।
"अंदर जाते ही रिसेप्शन पर एक सुंदर सी महिला ने अभिवादन किया और साथ ही पूछ लिया , सर क्या लेंगे ?"
बाहर बहुत गर्मी थी और पसीने से लगभग आधा माथा भीग गया था । कॉफ़ी हाउस के अंदर एसी की ठंडी-ठंडी हवा ने पसीना सुखाना स्टार्ट किया ।
फिर रिसेप्शन की महिला के आवाज़ सुन कर , काउंटर के मेनू पर नज़र घुमाया ।
कई प्रकार के कॉफ़ी और उनके अलग-अलग साइज के प्राइस लिखे थे ।
फिर मैंने एक कॉफ़ी फाइनल किया और बोला एक कोल्ड कॉफ़ी ।
उधर से प्रश्न आया "सर, लार्ज, मीडियम या स्मॉल ?"
कुछ सोच कर मैंने बोला, मीडियम।
ऑर्डर दे कर कोने की एक ख़ाली पड़ी सीट पर जा कर बैठ गया ।
सामने टेलिविज़न स्क्रीन पर आईपीएल का मैच चल रहा था । मैं भी थोड़ा क्रिकेट में रुचि लेता था तो देखने लगा ।
मैच रोमांचक मोड़ पर था । बैटिंग वाली टीम को जीतने के लिए 3 ओवर में 50 रन बनाने थे और ये उनका आख़िरी विकेट चल रहा था।
तब तक मेरी कॉफ़ी आ गयी और एक मीठी सी आवाज़ ने मेरा ध्यान भंग किया
"सर, इंजॉय योर कॉफ़ी"
मैं भी एक हल्की सी मुस्कुराहट अपने बुझे हुए चेहरे पर लाया और जवाब में बोला "थैंक्यू!"
कॉफ़ी का कप अपने तरफ़ किया और उसपे बने एक सुंदर से दिल आकृति को देखता रहा ।
फिर कॉफ़ी के कप को उठा कर एक छोटा सा सिप लिया ।
कॉफ़ी के ऊपर बने दिल की आकृति थोड़ी बिगड़ गई ।
उतने देर में कॉफ़ी हाउस का एनवायरनमेंट एक मनमोहक परफ्यूम के महक से भर गया ।
कॉफ़ी हाउस के मेन गेट पर नज़र गयी तो देखा एक सुंदर सी लड़की का आगमन हुआ है।
बाहर बहुत गर्मी की वजह से अंदर आते ही एसी की ठंडी-ठंडी हवा में अपने आप को सहज कर रही थी।
फिर मेरी एक नज़र मैच पर और दूसरी बीच-बीच में कॉफ़ी हाउस के काउंटर पर पड़ रही थी।
कुछ देर में उसका भी कॉफ़ी का ऑर्डर हो गया और वह भी सामने के सीट पर आ कर बैठ गयीं।
इधर मैच का भी 2 ओवर में 50 रन बनाने का बचा था।
पिछला ओवर बिना रन बनाए समाप्त हो गया था।
बीच-बीच में उस टेबल पर भी नज़र घुमा लेता था।
उसका भी कॉफ़ी का ऑर्डर आ गया ।
कॉफ़ी की सिप लेते हुए अचानक नज़र मिली। क़रीब 2-3 सेकंड तक एक दूसरे को देखते रहे।
फिर तुरंत नज़र हटा के कहीं और देखने लगे ।
जैसे हमने एक दूसरे को देखा ही ना हो ।
उधर बीच-बीच में मैच पर भी नज़र जा रही थी, उधर भी कभी-कभी 2-3 रन बन रहे थे ।
इधर बीच-बीच में 2-3 बार नज़र मिलती रही।
कॉफ़ी अब लगभग समाप्त होने को आयी।
कुछ देर में सामने टेबल पर नज़र पड़ी तो सीट ख़ाली थी और लड़की जो बैठी थी जा चुकी थी।
इधर मैच पर नज़र पड़ी, आख़िरी बैटिंग करनेवाला बैट्समैन आउट हो गया था।
बैटिंग करने वाली टीम हार गयी।
मेरी भी कॉफ़ी ख़त्म चुकी थी और मैं भी कॉफ़ी हाउस के ठंडी-ठंडी हवा से निकल कर बाहर गरम धूप भरी रोड पर आ गया ।
- अरुण सिंह
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