Skip to main content

अपने अंदर की ख़ज़ाने की खोज

 राहुल जिसे किताबों और काग़ज़ों से बहुत प्यार था। उसके पास पुराने काग़ज़ों का एक भंडार था, जिसमें हर काग़ज़ पर एक नई कहानी छिपी थी। एक दिन, जब वह अपने कमरे में बैठकर पुराने काग़ज़ों को पलट रहा था, उसे एक काग़ज़ की बहुत अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। जैसे वह काग़ज़ उससे कुछ कहना चाहता हो।

राहुल ने हैरान होकर उस काग़ज़ को उठाया। वह काग़ज़ सामान्य सा दिखता था, लेकिन उसके किनारे पर कुछ शब्द लिखे थे, जो राहुल ने पहले कभी नहीं देखे थे। वह शब्द थे, "खोया हुआ खजाना तुम्हारे सामने है।"

राहुल को यह बहुत आश्चर्य लगा। उसने उस काग़ज़ को ध्यान से पढ़ा, फिर उसकी छानबीन शुरू कर दी। काग़ज़ पर एक छोटी सी नक़्शे जैसी तस्वीर भी बनी थी। राहुल को समझ में आ गया कि यह कोई सुराग हो सकता है। उसने नक़्शे के अनुसार उस पुराने कुएँ के पास जाकर खुदाई शुरू की।

कुछ ही देर में उसे एक बक्सा मिला। बक्सा खोलते ही उसमें से एक पुराना पुस्तक निकला, जो एक गहरी रोशनी से चमक रहा था। राहुल ने पुस्तक को खोला, तो उसमें लिखा था: "सच्चा खजाना वह नहीं जो तुम्हारे पास हो, बल्कि वह है जो तुम्हारे दिल में हो।"

राहुल समझ गया कि वह खोया हुआ खजाना असल में उसका खुद का आत्मविश्वास है । उसने अपनी कड़ी मेहनत, साहस, और विश्वास को पहचान लिया। वह किसी खजाने से ज्यादा कीमती चीज़ पा चुका था – खुद को जानने का खजाना।

राहुल ने उस किताब को संभालते हुए सोचा, "असल खजाना शायद हमेशा हमारे पास होता है, बस हमें उसे पहचानने की जरूरत होती है।"


कभी-कभी हम बाहरी चीज़ों को खोजते रहते हैं, जबकि असली खजाना हमारे भीतर ही छिपा होता है और हम देख नही पाते। आत्मविश्वास और ज्ञान सबसे बड़ा खजाना हैं, जो हमें जीवन में सच्ची खुशियाँ देते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

प्यार एक अजीब सा एहसास है / Love is a strange feeling.

 प्यार एक अजीब सा एहसास है।  जिसको सब समझ नही सकते ।  केवल उसी को समझ में आता है जिसको प्यार होता है ।  कोई इस एहसास को बता भी नही सकता ।  इसको केवल महसूस किया जा सकता है ।  यह आपके जीवन में कई बदलाव ला सकता है।

छुट्टियों का समय \ Holiday time

“पूरे हफ़्ते की स्कूल की छुट्टी हुई थी, ४ दिन घर बैठे - बैठे बीत गए, इससे अच्छा कहीं घूम ही आते है? क्या कहती हो?”  बग़ल के सोफ़े में घुसे अपनी प्यारी पत्नी सुनैना से कुशल बोलते हुए किचन की तरफ़ चलता गया।  सुनते ही सुनैना भी ख़ुशी में झूमती हुई बोली  “ हाँ! बिल्कुल, सही कहते हैं, मैं भी यही सोंच रही थी।घर बैठे-बैठे बिलकुल ही बोर हो गए हैं! टेलिविज़न पर एक ही वेब सिरीज़ ४ बार देख चुकी हूँ। अब पंचवि बार देखने का मन नहीं है मेरा! कहाँ चले? कोई आस पास की जगह देखते हैं ,१ दिन का घूमने का हो तो कल सुबह निकल चलते हैं, वही रात में रुक भी जाएँगे।”  कुशल ने सोचा कि ये तो बस इंतेज़ार ही कर रही थी, मेरे बोलते ही इसने सारा प्लान भी बना लिया!  बग़ल के कमरे में इनका प्यारा बेटा राहुल, विडीओ गेम खेल रहा था, सुनते ही बाहर आ गया और वह भी सोफ़े में बैठ गया जहां बाहर जाने का प्लान बन रहा था।  उनकी बात ध्यान से सुना और दोनो लोगों को हिदायत देते हुए बोला  “बिलकुल नहीं!, कहीं नहीं जाना है, मेरी छुट्टी हुई है, आप लोगों की नहीं हुई है!, मुझे पूरे हप्ते घर पर ही रहना है, मैं रो...

कुछ बातें

  ख़्यालों के समुद्र में डूबे रहने से अच्छा है, हमेशा नये किनारों की तलाश करते रहें। असली सत्य वह है जो हमें अपने आँखों से ही नहीं बल्कि मन से भी दिखायी दे। अगर कुछ सिख पाएँ तो सबसे पहले अपने अंतः मन को समझ पाएँ। मन की गहराइयों में उतरने पर ही, अपने खुद के बारे में समझा जा सकता है। खुद को समझने के लिए, सबसे पहले अपने आप का सबसे गहरा मित्र बनना पड़ता है। -अरुण सिंह