कुछ हमने सींचा, कुछ तुमने सींचा। सब मिलके सींचे, तब जा के बना ये जय भारत। कुछ हरा मिला, कुछ केशरिया मिला। जीवन का चक्र जब जा के मिला, तब जा के बना ये जय भारत । उत्तर से जब दक्षिण मिला, मिला पूरब से पश्चिम । कश्मीर से मिली जब कन्याकुमारी, तब जा के बना ये जय भारत। गोरे काले का भेद भुला कर, ऊंच नीच का द्वेष मिटा कर। एक साथ जब सब मिल जाते, तब जा के बना ये जय भारत। जब तुम बोले मैं समझा, जब मैं बोला तुम समझे। जब दोनों एक श्वर में बोले, तब जा के बना ये जय भारत। - अरुण सिंह