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Rules are very boring | नियम बहुत बोरिंग होते हैं

सावन की शाम

" सावन की शाम " " ना दिन है ना रात है। दिन समाप्त होने को है और रात आने को है । दिन और रात के बीच का कुछ समय । जब सूरज बिदायी लेने के लिए तैयार और निशा आने को बेक़रार। सूरज अप नी लालिमा छोड़े जा रहा , निशा अपनी अँधेरा लाना चाह रही और आसमान अपनी हल्की हल्की बारिश की बूँदे बरसाने को बेक़रार । ये सारी प्रकृति का खेल एक साथ आसमान में चल रहा था " रति अपने गाँव के पुराने छत पे बैठ कर इस प्रकृति के अनोखे खेल में समायी जा रही थी। सामने खेत में धान के पौधे अपने बाल्यावस्था को छोड़ने को तैयार और किशोर अवस्था में जाने को बेरकरार थे । ठंडी ठंडी हवा के साथ धान के पौधे भी झूम रहे थे और हवा की लय में बहे जा रहे थे । सब मिल कर एक मधुर संगीत निकाल रहे थे । एक अलग ही संगीत जिसे केवल महसूस किया जा सकता । रति को ऐसा लग रहा था जैसे वह भी कोई परी बन जाए और " इन हरियाली भरे पौधों , ठंडी हवा , आसमान में लालिमा और काले बादल का एक साथ के अनोखे दृश्य " में समा जाए और इनके साथ झूमने लगे , खो जाए । सुबह के अलार्म ने रति को जगाया तब जा के वह अपने

क्रिकेट फ़ैन पति

"सुनो डार्लिंग सुबह हो गयी आज चाय नहीं दि रोज़ की तरह?" सुबह उठते ही शर्मा जी ने अपनी धर्मपत्नी को प्यार से जगाते हुए बोले। रजायी के नीचे से आवाज़ आईं "आज क्रिकेट मैच स्टार्ट होने वाला है?”। शर्मा जी ने जवाब दिया। हाँ और अपना दबाव दिखाते हुए बोला कि अभी मैच स्टार्ट होगा तुम लोग आज मुझे डिस्टर्ब मत करना और हाँ प्लीज़ चाय दे दो। "अरे उठो!! ख़ुद चाय बना लो और मेरे लिए भी बना देना।" रजायी के अंदर से आवाज़ आयी। आवाज़ में ज़रा सी तेज़ी बढ़ गयी थी। समय को भाँपते हुए और आज मैच भी देखना है सोंच कर चाय बना कर शर्मा जी ने ख़ुद ही पी ली और धर्मपत्नी जी को भी बेड टी दे दी। शर्मा जी बाथरूम जाने के लिए बाथरूम का दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहे थी लेकिन खुल नहीं रहा था। " इतने तेज़ तेज़ से दरवाज़े की कुंदी खिंचने से दरवाज़ा खुल नहीं जाएगा, जाओ तबतक वैकुम क्लीनर बेड रूम में चला दो बहुत धूल सी लग रही है फ़र्श पर ! " बाथरूम के अंदर से आवाज़ आयी । शर्मा जी से भी रहा नहीं गया। अरे यार !!! अभी तो बाथरूम ख़ाली था !!! तुम कब अंदर चली गयी? देखो मैच स्टार्ट होने

पैरेंट्स टीचर मीटिंग / Parents teacher meeting

“ राहुल !! बेटा उठ जाओ !! आज पैरेंट्स टीचर मीटिंग है तुम्हारे स्कूल में।” मैं भूल गई थी। पिछले हफ़्ते ही स्कूल से मैसेज आया था। अभी याद आया। जल्दी उठो हमें १ घंटे में जाना है। “ पता नहीं कैसा रिपोर्ट आया होगा !!! ऑफ़िस के काम की वजह से कुछ पढ़ा भी नहीं पायी थी । सीमा आलमारी में राहुल का स्कूल ड्रेस ढूँढते हुए मन ही मन बुदबुदा रही थी। समय से कुछ मिलता भी तो नहीं है। ये तुम अपने कपड़े किधर फेंक देते हो ? राहुल के उपर चिल्लाया। लेकिन तुरंत ही समझ आ गया कि बेचारे 8 साल के बच्चे को कितना ध्यान रहेगा !!” “ कैसे भी कर के स्कूल जाने को दोनो तैयार हो गए और स्कूल के लिए निकल पड़े। राहुल तो अभी भी नींद में ही था अध मने मन से चले जा रहा था। शायद उसको लग रहा था कि पूरे हफ़्ते में १ दिन की तो छुट्टी होती है !! “ संडे” और उसमें भी स्कूल जाना पड़ रहा है !!!” सीमा राहुल का हाथ पकड़ कर जल्दी जल्दी स्कूल के तरफ़ चले जा रही थी । स्कूल पहुँच कर क्लास रूम में हेड टीचर से अपने नम्बर का टोकेन ले कर बैठ गयी। “नयी हेड टीचर तो लग ही नहीं रही हैं कि टीचर है बिल्कुल मॉडर्न टीचर ! इत

प्राकृत की सुंदर आग़ोश

"प्राकृत की सुंदर आग़ोश" "बहू! बहू सुमित का फ़ोन आया है कश्मीर से! लो बात कर लो! वट्स ऐप पर विडीओ कॉल किया है।" सुमित के पिता ने सरिता को आवाज़ लगते हुए बुलाया । सरिता आवाज़ सुनते ही दौड़ते हुए पिता जी के कमरे में गयी और फ़ोन ले के शर्माती हुई छत पे चली गयी । " अभी ४ घंटे पहले ही तो फ़ोन किए थे! क्या हुआ? सब ठीक है ना? ” आर्मी में रहकर भी घर वालों को इतना याद कर लेते हैं! अच्छा हुआ कि आप इस बार घर आए थे तो मोबाइल फ़ोन ले आए उससे हमारी बात हो जाती है । और ऐसे लगता है कि आप यहीं हैं । छत पे बैठती हुई सरिता ने सुमित से बोलती चली गयी । "हाँ सब ठीक है ! अभी मेरी शिफ़्ट समाप्त हुई और अपने क्वॉर्टर में आ गया तो सोचा तुम लोगों से बात कर लूँ । यहाँ का मौसम इतना अच्छा है की मैं क्या बताऊँ! चारो तरफ़ सुंदर सुंदर पेड़ और रंग बिरंगे फूल। जैसे लगता है अगर स्वर्ग कहीं है तो यहीं है । सोच रहा हूँ अगले महीने छुट्टी ले कर तुमको यहाँ बुलाऊँ और हम ख़ूब मज़े करेंगे कश्मीर की वादियों में। फिर यहाँ ढेर सारी झील हैं और उसमें सुंदर सुंदर बोट हैं जिसमें हम बैठ क

तब जा के बना ये जय भारत

कुछ हमने सींचा, कुछ तुमने सींचा। सब मिलके सींचे, तब जा के बना ये जय भारत। कुछ हरा मिला, कुछ केशरिया मिला। जीवन का चक्र जब जा के मिला, तब जा के बना ये जय भारत । उत्तर से जब दक्षिण मिला, मिला पूरब से पश्चिम । कश्मीर से मिली जब कन्याकुमारी, तब जा के बना ये जय भारत। गोरे काले का भेद भुला कर, ऊंच नीच का द्वेष मिटा कर। एक साथ जब सब मिल जाते, तब जा के बना ये जय भारत। जब तुम बोले मैं समझा, जब मैं बोला तुम समझे। जब दोनों एक श्वर में बोले, तब जा के बना ये जय भारत। - अरुण सिंह

डिजिटल युग

"एक ब्रेड ही सेंक कर दे दो!! खाली चाय मजा नहीं आ रहा" कुशल शर्मा ने अपने पत्नी सरिता से बड़े प्यार से बोले। सरिता किचेन में जल्दी जल्दी बच्चे को स्कूल जाने के लिए टिफिन पैक कर रही थी। "वाह जी वाह!! मजे की चिंता बहुत है आपको!! आज इंटरव्यू देने के लिए नहीं जाना है क्या? कबतक बिना नौकरी के घर बैठे रहोगे? ये कल रात की रोटी बची है! इसे ही खा लेते चाय के साथ! ये वैसे भी खराब होने वाली है" सरिता ने रोटी बढ़ा दी शर्मा जी के तरफ। शर्मा जी भी चाय में रोटी डुबो कर खाने लगे और  एक हाथ से दो दिन पुराना न्यूज़ पेपर के रोजगार समाचार वाले पेज पर रिक्तियां देखने में मशगूल हो गए। " अरे अरे!! एक जॉब का इंटरव्यू मिल गया। आज आखिरी दिन है। मैं जा रहा हूँ इंटरव्यू देने!!" शर्मा जी ने चिल्लाते हुए सरिता को बताया और बच्चों की तरह कूदने लगे। जल्दी से कपड़े पहन कर और जूते में हल्का फुल्का ब्रश मार कर दौड़ के सड़क पर आ गए । रास्ते में याद आया कि पेन तो घर पर छूट गया। अब पेन खरीदने के लिए रुकें तो कहीं इंटरव्यू के लिए देरी ना हो जाये। अभी शर्मा जी असमंजस में थे तब तक ऑटो ड्राइवर ने