चुप रहके बहुत कुछ बोला जा सकता है । जीवन का सबसे बड़ा वार्तालाप चुप रहके होता है। कोई अपना मित्र या घर का ही अपना सदस्य, ग़ुस्से में बहुत कुछ बोलते हैं। अगर एक पच्छ समझदारी दिखाए तो, बहुत बड़ा से बड़ा झगड़ा, मारपीट या कोई भी विवाद सुलझाया जा सकता है। वाक़यी में जो कोई भी ग़ुस्से में होता है, वह उस समय स्वयं नहीं होता है। उस समय उसके शरीर पर किसी और का वश होता है । बस उस तनिक से समय के लिए, अगला आदमी कुछ जवाब ना दे और शांत रह जाए। तो ग़ुस्सा शांत होते ही उसे समझ में आ जाएगा कि वह कितनी गलती कर रहा था। और दूसरा आदमी चूप रहके भी सब कुछ बोल जाएगा। - अरुण सिंघ
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