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चुप रहके बहुत कुछ बोला जा सकता है

चुप रहके बहुत कुछ बोला जा सकता है । जीवन का सबसे बड़ा वार्तालाप चुप रहके होता है। कोई अपना मित्र या घर का ही अपना सदस्य, ग़ुस्से में बहुत कुछ बोलते हैं। अगर एक पच्छ समझदारी दिखाए तो, बहुत बड़ा से बड़ा झगड़ा, मारपीट या कोई भी विवाद सुलझाया जा सकता है। वाक़यी में जो कोई भी ग़ुस्से में होता है, वह उस समय स्वयं नहीं होता है। उस समय उसके शरीर पर किसी और का वश होता है । बस उस तनिक से समय के लिए, अगला आदमी कुछ जवाब ना दे और शांत रह जाए। तो ग़ुस्सा शांत होते ही उसे समझ में आ जाएगा कि वह कितनी गलती कर रहा था। और दूसरा आदमी चूप रहके भी सब कुछ बोल जाएगा। - अरुण सिंघ

कुछ बातें

  ख़्यालों के समुद्र में डूबे रहने से अच्छा है, हमेशा नये किनारों की तलाश करते रहें। असली सत्य वह है जो हमें अपने आँखों से ही नहीं बल्कि मन से भी दिखायी दे। अगर कुछ सिख पाएँ तो सबसे पहले अपने अंतः मन को समझ पाएँ। मन की गहराइयों में उतरने पर ही, अपने खुद के बारे में समझा जा सकता है। खुद को समझने के लिए, सबसे पहले अपने आप का सबसे गहरा मित्र बनना पड़ता है। -अरुण सिंह

छुट्टियों का समय \ Holiday time

“पूरे हफ़्ते की स्कूल की छुट्टी हुई थी, ४ दिन घर बैठे - बैठे बीत गए, इससे अच्छा कहीं घूम ही आते है? क्या कहती हो?”  बग़ल के सोफ़े में घुसे अपनी प्यारी पत्नी सुनैना से कुशल बोलते हुए किचन की तरफ़ चलता गया।  सुनते ही सुनैना भी ख़ुशी में झूमती हुई बोली  “ हाँ! बिल्कुल, सही कहते हैं, मैं भी यही सोंच रही थी।घर बैठे-बैठे बिलकुल ही बोर हो गए हैं! टेलिविज़न पर एक ही वेब सिरीज़ ४ बार देख चुकी हूँ। अब पंचवि बार देखने का मन नहीं है मेरा! कहाँ चले? कोई आस पास की जगह देखते हैं ,१ दिन का घूमने का हो तो कल सुबह निकल चलते हैं, वही रात में रुक भी जाएँगे।”  कुशल ने सोचा कि ये तो बस इंतेज़ार ही कर रही थी, मेरे बोलते ही इसने सारा प्लान भी बना लिया!  बग़ल के कमरे में इनका प्यारा बेटा राहुल, विडीओ गेम खेल रहा था, सुनते ही बाहर आ गया और वह भी सोफ़े में बैठ गया जहां बाहर जाने का प्लान बन रहा था।  उनकी बात ध्यान से सुना और दोनो लोगों को हिदायत देते हुए बोला  “बिलकुल नहीं!, कहीं नहीं जाना है, मेरी छुट्टी हुई है, आप लोगों की नहीं हुई है!, मुझे पूरे हप्ते घर पर ही रहना है, मैं रोज़ स्कूल जाता हूँ, जब छुट्टी हुई ह

एक बार जो देखा उनको \ Once I saw her

सुना है आज कल समाचार में, बेवफाई की खबर जरा गर्म है , तो सोचा थोड़ा प्यार की महक, फिजा में बिखेर दूं , माहौल ज़रा सर्द हो जाए । ******** एक बार जो देखा उनको , उन्ही का हो गया | अब तो आईने में भी , उनका ही चेहरा दिखता है | रात के सपनों में भी , उनका ही पहरा हो गया | एक बार जो देखा उनको , उन्ही का हो गया | - अरुण सिंह

हार केवल एक चुनौती है

असफलता केवल एक अवसर होती है,जो आपको आगे बढ़ने के लिए और मजबूत बनाती है। हार केवल एक चुनौती है, इससे नहीं डरना। आगे बढ़ें, सफलता आपको नजरअंदाज करने लगेगी। जिस दिन तुम्हारे अंदर उस परीक्षा के लिए इतनी उत्साह रहेगी जिसमें तुम्हारा फेल होना मुमकिन हो जाएगा, उस दिन तुम सफल हो जाओगे। जब तक आप हार नहीं मानते हैं, तब तक आप जीत के लिए लड़ते रहेंगे। हर नया दिन आपके लिए एक नई शुरुआत होती है, आप अपने सपनों के पीछे भागते रहें और सफलता की तलाश में लगे रहें। जो कुछ भी होता है, उसमें एक सबक छुपा होता है, जो हमें अगली बार बेहतर करने की उपलब्धि दिलाता है। अगर आप नहीं हारते हैं, तो सफलता आपकी कदमों में आ जाएगी। Get All Deals on one place

बाल्य शिक्षा

Get All Deals on one place कुशल   अपने बेटे राजू   को   डान्स   स्कूल   ले   जाते   समय ,  घर   से   बस   स्टॉप   तक   जाते   हुए   समझाए   जा   रहा   था   और   तेज   गति   से   बढ़ते   हुए   राजू   का   हाथ पकड़े  चले   जा   रहा   था   ताकि   कहीं   बस   छूट   ना   जाए   ।   राजू   भी   कुशल   के   साथ   सरपट   तेज   गति   से   चले   जा   रहा   था  “ देखो   बेटा  ,  चाहे   कितना   भी   लेट   हो   जाए  ,  रोड   पार   करते   समय   हड़बड़ाते नहीं   हैं   ।   हमेशा   ज़ेब्रा   क्रॉसिंग   से   ही   रोड   पार   करना   चाहिए।   अगर   ट्रैफ़िक   लाइट   हो   तो   जब   तक   ग्रीन   लाइट   ना   हो   जाए   तब   तक   रोड   पार नहीं   करना   चाहिए।   रेड   लाइट   हो   तो   रोड   पार   करने   का   सोचना   भी   नहीं   चाहिए   और   ग्रीन   लाइट   होने   का   इंतेज़ार   करना   चाहिए।   समझे !”  राजू   भी   कुशल   के   साथ   चलते - चलते   जवाब   देता   रहा   “ हाँ   पापा   मुझे   पता   है।   मैं   ऐसा   ही   करता   हूँ  ,  आपने   देखा   नहीं  ?  अभी   मैं   रोड   क्रॉस   करने   से   पहले   दाएँ - बा

समय चक्र

  जब मनुष्य जन्म लेता है तब उसके पास निर्वस्त्र शरीर और स्वच्छ दिमाग़ के सिवा कुछ नहीं होता। समय उसे मोह , माया , द्वेष , ईर्ष्या दे देती है जिसमें वह उलझा रहता है । एक के मिलने के बाद दूसरे को पाने लिए दौड़ता रहता है। ....... ...... ... - अरुण सिंह