Skip to main content

Posts

बाल्य शिक्षा

Get All Deals on one place कुशल   अपने बेटे राजू   को   डान्स   स्कूल   ले   जाते   समय ,  घर   से   बस   स्टॉप   तक   जाते   हुए   समझाए   जा   रहा   था   और   तेज   गति   से   बढ़ते   हुए   राजू   का   हाथ पकड़े  चले   जा   रहा   था   ताकि   कहीं   बस   छूट   ना   जाए   ।   राजू   भी   कुशल   के   साथ   सरपट   तेज   गति   से   चले   जा   रहा   था  “ देखो   बेटा  ,  चाहे   कितना   भी   लेट   हो   जाए  ,  रोड   पार   करते   समय   हड़बड़ाते नहीं   हैं   ।   हमेशा   ज़ेब्रा   क्रॉसिंग   से   ही   रोड   पार   करना   चाहिए।   अगर   ट्रैफ़िक   लाइट   हो   तो   जब   तक   ग्रीन   लाइट   ना   हो   जाए   तब   तक   रोड   पार नहीं   करना   चाहिए।   रेड   लाइट   हो   तो   रोड   पार   करने   का   सोचना   भी   नहीं   चाहिए   और   ग्रीन   लाइट   होने   का   इंतेज़ार   करना   चाहिए।   समझे !”  राजू   भी   कुशल   के   साथ   चलते - चलते   जवाब   देता   रहा   “ हाँ   पापा   मुझे   पता   है।   मैं   ऐसा   ही   करता   हूँ  ,  आपने   देखा   नहीं  ?  अभी   मैं   रोड   क्रॉस   करने   से   पहले   दाएँ - बा

समय चक्र

  जब मनुष्य जन्म लेता है तब उसके पास निर्वस्त्र शरीर और स्वच्छ दिमाग़ के सिवा कुछ नहीं होता। समय उसे मोह , माया , द्वेष , ईर्ष्या दे देती है जिसमें वह उलझा रहता है । एक के मिलने के बाद दूसरे को पाने लिए दौड़ता रहता है। ....... ...... ... - अरुण सिंह

जेठ की दोपहरी

                                                      *** जेठ की दोपहरी *** अरे सोमू भैया!!! बहुत सालों बाद गाँव आएँ! सब ठीक तो है? “तीन पहिया आटो से अपना सूट्केस ले कर गाँव से २ कोस दूर चौराहे पर उतर रहा था तभी पीछे से आवाज़ आयी” । सूट्केस सम्भालते हुए और चेहरे का पसीना पोछते हुए, पीछे मुड़कर के देखा तो जगु मोटरसाइकल से उतर कर सोमेश की तरफ़ आ रहा था। “गाँव में सोमेश को सभी लोग सोमू कहके बुलाते थे” अरे जगु तुम! हाँ, बहुत सालों बाद गाँव आया हूँ, स्कूल की गर्मी की छुट्टी चल रही है तो सोचा गाँव घूम आऊँ। तुम बताओ! कैसे हो भई? बहुत सालों बाद तुम्हें देखा है। “जगु २ साल सोमेश से छोटा था, गाँव में उसके घर के बग़ल में ही जगु का घर है, सोमेश जब साइकल से स्कूल जाता था तो कभी-कभी इसको भी स्कूल जाने के लिए पीछे कैरीअर पे बैठा लेटा था।” हम लोग ठीक हैं भैया, बस बाबूजी को बुख़ार है २ दिन से तो दवा की दुकान जा रहा हूँ दवा लाने। आप आधा घंटा रुकिए यहीं, मैं आता हूँ तो मेरे साथ ही मोटरसाइकल पर गाँव चले चलिएगा। “जगु भी अपने सर से गमछा खोल कर पसीना पोछते हुए एक साँस म

ॐ जय जगदीश हरे | Om Jai Jagdish Hare Flute , Part 1I Om Jai Jagdish

असली ज़रूरत मंद

....................................................................................................... "भाई साहेब ! ओ भाई साहेब ! सुनिए तो! बच्चा कई दिनों से भूखा है । कुछ मदद कर दीजिए ।" आवाज़ अनसुनी कर रोहित चला जा रहा था । तभी उसके मन में पता नहीं क्या आया कि पीछे मुड़ के उस औरत के पास आ गया जो उसे आवाज़ लगा रही थी । यही कोई लगभग 45 वर्ष की आयु की औरत थी। रोहित को पास आते देख, महिला दयनीय चेहरा बना कर गिड़गिड़ाते हुए बोलने लगी। "साहेब! पैसे नहीं तो राशन दिला दीजिए या 5 किलो आटा ही दिला दीजिए, बच्चे भूखे हैं " । "मैं आपको इसी जगह पे सालों से देखता हूँ। आपकी सेहत भी ठीक ठाक दिखती है, फिर आप ये रोज़ इतना भीख माँग कर करती क्या हैं ? मैंने भी बहुत बार आपको मदद की है । मुझे याद है।” रोहित उस औरत को प्यार से समझाने के लहजे से बात करने लगा । "अरे नहीं साहेब मेरा बच्चा भूखा है, पैसे नहीं तो खाने का सामान दिला दीजिए। ” औरत एक बात की रट लगाए पड़ी थी। “अच्छा तो पहले आप लोग पैसे माँगते थे, और लोग ज़रा समझदार हो गए हैं तो आप लोग बोलते हो कि 5 किलो का आटा दिला दीजि