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जब किसी के लौटने की उम्मीद

जब किसी के लौटने की उम्मीद ना हो । तो घर के दरवाजे , अपने आप ही बंद हो जाते हैं । सारे रास्ते बंद हो जाते हैं ,  बेवजह ख्वाब नहीं आते हैं ।  शहर के शोर में भी , कोई आवाज सुनाई नहीं देते हैं । जब किसी के लौटने की उम्मीद ना हो । तो घर के दरवाजे , अपने आप ही बंद हो जाते हैं ।                                     - अरुण सिंह 

कॉफ़ी हाउस / coffee house

शहर के बाहर , शोर शराबे से दूर एक शांत कॉफ़ी हाउस के अंदर गया ।   "अंदर जाते ही रिसेप्शन पर एक सुंदर सी महिला ने अभिवादन किया और साथ ही पूछ लिया , सर क्या लेंगे ?"  बाहर बहुत गर्मी थी और पसीने से लगभग आधा माथा भीग गया था । कॉफ़ी हाउस के अंदर एसी की ठंडी-ठंडी हवा ने पसीना सुखाना स्टार्ट किया ।  फिर रिसेप्शन की महिला के आवाज़ सुन कर , काउंटर के मेनू पर नज़र घुमाया ।   कई प्रकार के कॉफ़ी और उनके अलग-अलग साइज के प्राइस लिखे थे ।   फिर मैंने एक कॉफ़ी फाइनल किया और बोला एक कोल्ड कॉफ़ी ।  उधर से प्रश्न आया "सर, लार्ज, मीडियम या स्मॉल ?"   कुछ सोच कर मैंने बोला, मीडियम। ऑर्डर दे कर कोने की एक ख़ाली पड़ी सीट पर जा कर बैठ गया । सामने टेलिविज़न स्क्रीन पर आईपीएल का मैच चल रहा था । मैं भी थोड़ा क्रिकेट में रुचि लेता था तो देखने लगा ।   मैच रोमांचक मोड़ पर था । बैटिंग वाली टीम को जीतने के लिए 3 ओवर में 50 रन बनाने थे और ये उनका आख़िरी विकेट चल रहा था।  तब तक मेरी कॉफ़ी आ गयी और एक मीठी सी आवाज़ ने मेरा ध्यान भंग किया  "सर, इंजॉय योर कॉफ़ी" मैं भी एक हल्की सी मुस्कुराहट

संघर्षों से समस्या का समाधान

हमें अपने संघर्षों, अपने कठिनायियों से डरने की जगह, एक-दूसरे के साथ मिलकर समाधान ढूंढने की आवश्यकता है। समस्याओं का सामना करने के लिए, एक साथ मिलकर काम करना हमेशा सबसे बढ़िया होता है। कोई भी बड़ा काम , बड़ी मुश्किल का सामना, साथ मिलकर करने से, बड़ा से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। जब हम अकेले किसी समस्या का समधन ढूंढने निकल पड़ते हैं तो समाधान तो मिलता हाई। लेकिन ये नहीं पता चलता कि ये समाधान सही है या ग़लत। हमें अपना ढूँढा हुआ समाधान तो हमेशा से ही सही लगेगा। लेकिन ये तब सही होगा, जब कोई और उसे समझ के बताए कि ये सही है। सफलता वह है जब हम अपने सपनों की खोज में उतरते हैं, और रास्ते में मिलने वाली हर कठिनायी को एक संगीन मानते हैं।

जीवन की सच्चायी

जीवन की सच्ची खूबसूरती उसकी अनूठी अदा में छुपी होती है। खुद को खोजने का सबसे खास रास्ता है, खुद के आँतरिक आवाज़ को सुनना। हर रोज़ एक नया सवेरा, हर क्षण एक नया आगाज़। जीने का ख़ुशनुमा मंत्र। समय का सबसे बड़ा धनी वह होता है जो अपने समय को अच्छी तरह से व्यवस्थित करता है। जीवन में सफलता का मापदंड वह नहीं है जो हम प्राप्त करते हैं, बल्कि वह कैसे हम अन्यों को इसका हिस्सा बनाते हैं। सच्चा धन वह है जो आत्मा को संतुष्टि दे, न कि सिर्फ बैंक खाते में जमा हो।

चुप रहके बहुत कुछ बोला जा सकता है

चुप रहके बहुत कुछ बोला जा सकता है । जीवन का सबसे बड़ा वार्तालाप चुप रहके होता है। कोई अपना मित्र या घर का ही अपना सदस्य, ग़ुस्से में बहुत कुछ बोलते हैं। अगर एक पच्छ समझदारी दिखाए तो, बहुत बड़ा से बड़ा झगड़ा, मारपीट या कोई भी विवाद सुलझाया जा सकता है। वाक़यी में जो कोई भी ग़ुस्से में होता है, वह उस समय स्वयं नहीं होता है। उस समय उसके शरीर पर किसी और का वश होता है । बस उस तनिक से समय के लिए, अगला आदमी कुछ जवाब ना दे और शांत रह जाए। तो ग़ुस्सा शांत होते ही उसे समझ में आ जाएगा कि वह कितनी गलती कर रहा था। और दूसरा आदमी चूप रहके भी सब कुछ बोल जाएगा। - अरुण सिंघ

कुछ बातें

  ख़्यालों के समुद्र में डूबे रहने से अच्छा है, हमेशा नये किनारों की तलाश करते रहें। असली सत्य वह है जो हमें अपने आँखों से ही नहीं बल्कि मन से भी दिखायी दे। अगर कुछ सिख पाएँ तो सबसे पहले अपने अंतः मन को समझ पाएँ। मन की गहराइयों में उतरने पर ही, अपने खुद के बारे में समझा जा सकता है। खुद को समझने के लिए, सबसे पहले अपने आप का सबसे गहरा मित्र बनना पड़ता है। -अरुण सिंह

छुट्टियों का समय \ Holiday time

“पूरे हफ़्ते की स्कूल की छुट्टी हुई थी, ४ दिन घर बैठे - बैठे बीत गए, इससे अच्छा कहीं घूम ही आते है? क्या कहती हो?”  बग़ल के सोफ़े में घुसे अपनी प्यारी पत्नी सुनैना से कुशल बोलते हुए किचन की तरफ़ चलता गया।  सुनते ही सुनैना भी ख़ुशी में झूमती हुई बोली  “ हाँ! बिल्कुल, सही कहते हैं, मैं भी यही सोंच रही थी।घर बैठे-बैठे बिलकुल ही बोर हो गए हैं! टेलिविज़न पर एक ही वेब सिरीज़ ४ बार देख चुकी हूँ। अब पंचवि बार देखने का मन नहीं है मेरा! कहाँ चले? कोई आस पास की जगह देखते हैं ,१ दिन का घूमने का हो तो कल सुबह निकल चलते हैं, वही रात में रुक भी जाएँगे।”  कुशल ने सोचा कि ये तो बस इंतेज़ार ही कर रही थी, मेरे बोलते ही इसने सारा प्लान भी बना लिया!  बग़ल के कमरे में इनका प्यारा बेटा राहुल, विडीओ गेम खेल रहा था, सुनते ही बाहर आ गया और वह भी सोफ़े में बैठ गया जहां बाहर जाने का प्लान बन रहा था।  उनकी बात ध्यान से सुना और दोनो लोगों को हिदायत देते हुए बोला  “बिलकुल नहीं!, कहीं नहीं जाना है, मेरी छुट्टी हुई है, आप लोगों की नहीं हुई है!, मुझे पूरे हप्ते घर पर ही रहना है, मैं रोज़ स्कूल जाता हूँ, जब छुट्टी हुई ह