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Showing posts from 2019

मेरी प्यारी गुड़िया

मेरी प्यारी गुड़िया! आज तू क्यों मुझसे रूठ गयी? जब तुम धरती पे आई, घर मे नई रोशनी लाई। कुछ के चेहरे मायुश थे, पर अम्मा और बाबा खुश थे। गुड़िया की स्वागत में, घर को सजाया। अपना कमरा छोटा कर, गुड़िया का कमरा बनाया। कभी खुद के कपड़े की जगह, गुड़िया के लिए खिलौने लाया। कभी घोड़ा बन के पीठ पे सजाया, कंधे पर बिठा के मेला घुमाया। मेरी प्यारी गुड़िया! आज तू क्यों मुझसे रूठ गयी? सारे काम छोड़ कर, तुम्हें स्कूल छोड़ के आता। जो मुझे न मिल पाया,वह सबकुछ देने की कोशिश करता। तुम्हें आत्मनिर्भर बनाया। दुनिया मे जीने का नियम सिखाता। आज तुम अपने पैरों पर खड़ी हो भी गयी थी, फिर ये क्या हुआ? मेरी प्यारी गुड़िया! आज तू क्यों मुझसे रूठ गयी? आज तू क्यों न बोल रही, क्यों नहीं शिकायत कर रही। मैं देर से क्यों आया, तू मुश्किल में थी मैं समझ क्यों न पाया। अब कैसे मैं बिठाऊँ तुम्हे कंधे पर, तुम तो मेरे तरफ देख भी नहीं रही। कुछ तो जवाब दो, अब मैं किसको सुबह आवाज दे कर उठाऊंगा। मेरी प्यारी गुड़िया! आज तू क्यों मुझसे रूठ गयी?? जिन हाथों से तुम्हे खाना खिलाया। उन हाथों से तुम्हें आग कैसे दे पाऊंगा? तुम म

सड़क के श्वान की ज़िंदगी | Life of Street Dog

आखिर वो दिन आ ही गया!!! रजिया ने 6 बच्चों को जन्म दिया। सड़क के किनारे झाड़ियों में लेट के अपने बच्चों को दूध पिलाते हुए अनायास ही पिछले कुछ महीनों का दृश्य उसके आंखों के सामने चलचित्र की तरह चलने लगे। जब वह 6 बच्चों को अपने गर्भ में लिए इस सड़क से उस सड़क घूमती रहती थी। कभी किसी घर के सामने पड़े कूड़े में मुँह मार के कुछ खाने के लिए ढूढ़ ही लेती थी। फिर कभी घर के रखवाले की नजर पड़ी तो डंडो की मार भी खानी पड़ी। पूरे कालोनी में कोई भी देखता तो उसे मारने को दौड़ाता। फिर किसी तरह अपनी और गर्भ में पल रहे 6 बच्चों को लेकर छुपती छुपाती भाग जाती। रात में कहीं भी सड़क के कोने में जगह मिले वहीं सो जाती। लेकिन कभी भी गहरी नींद में नहीं सो पाती। उसको डर लगता कि कहीं कोई उसको डंडे या पत्थर से उसके पेट पे नां मार दे। आखिर उसे अपने बच्चों को भी बचाना था। जो की अभी इस दुनिया में आये ही नहीं। फिर सामने एक लड़का अपने बिलायती कुत्ते को सैर कराते हुए सामने सड़क पे दिखा, तो अचानक उसका ध्यान भंग हुआ। उसके बच्चे भी दूध पीना छोड़, कूदते हुए उस बिलायती प्यारे से कुत्ते के आस पास जा के लालच की नजरों में उसके साथ खे

सामाजिक दबाव | Social Pressure

“ अंकल जी आप बग़ल वाले ख़ाली बेंच पर बैठ जाइए , जब आप का नम्बर आएगा तो मैं बुलाऊँगा। आप बहुत थके हुए लग रहे हैं !” बैंक के लोन पास करने वाले कर्मचारी ने 58 साल के गुप्ता जी को आदर पूर्वक बोलते हुए दूसरे कस्टमर का लोन आवेदन चेक करने में मगन हो गए। गुप्ता जी भी हाथ में फ़ाइल ले कर खाली पड़ी बेंच पर बैठ गए और अपने नम्बर का इंतज़ार करने लगे। “ अरे ! गुप्ता ! यहाँ कैसे ? क्या हुआ ? क्या काम है ?” आवाज़ सुनकर गुप्ता जी भी दूसरे तरफ़ मुड़े , तो सामने देखा कि उनके पुराने मित्र नरेश जो बैंक में कर्मचारी थे उनके तरफ़ आ रहे थे ।   अरे ! तुम ! इसी बैंक में काम करते हो क्या !! “ हाँ अभी एक महीना हुआ बरेली से लखनऊ ट्रान्स्फ़र हुआ है। ”   नरेश भी नज़दीक आते हुए गुप्ता जी को गले लगाते हुए बग़ल में बैठ गए और हाल चाल पूछने लगे। यार गुप्ता तुम्हारे बेटे का एंजिनीरिंग की पढ़ायी तो समाप्त हो गयी होगी इस साल ! बहुत ही होनहार लड़का है तुम्

तब जा के बना ये जय भारत

जब एक देश का एक ही नियम, एक मुल्क का शरहद एक। जब एक धागे में सब बध जाए, तब जा के बना ये जय भारत। उत्तर से जब दक्षिण मिला, मिला पूरब से पश्चिम । कश्मीर से मिली जब कन्याकुमारी, तब जा के बना ये जय भारत। कुछ हमने सींचा, कुछ तुमने सींचा। सब मिलके सींचे, तब जा के बना ये जय भारत। कुछ हरा मिला, कुछ केशरिया मिला। जीवन का चक्र जब जा के मिला, तब जा के बना ये जय भारत । गोरे काले का भेद भुला कर, ऊंच नीच का द्वेष मिटा कर। एक साथ जब सब मिल जाते, तब जा के बना ये जय भारत। जब तुम बोले मैं समझा, जब मैं बोला तुम समझे। जब दोनों एक श्वर में बोले, तब जा के बना ये जय भारत। - अरुण सिंह

तुम भी होते तो अच्छा होता / It would have been nice if you were too

तुम भी होते तो अच्छा होता । ये बारिश का मौसम । ये ठंडी हवा , जो मुझे छू के चली जाती है । आसमान में काली घटा । तुम भी होते तो अच्छा होता । मेरी थोड़ी सी आहट से कोयल का फड़फड़ा के उड़ जाना । घर की खिड़की से बारिश के बहते पानी को देखना । काग़ज़ की कस्ती बना के बहाना । तुम भी होते तो अच्छा होता । छोटी सी झील में हँसो का तैरना । छोटे छोटे कमल के फूलों को खिलते देखना । छोटे से कंकड़ को झील में तैराने की कोशिश करना । तुम भी होते तो अच्छा होता । ऊँचे पहाड़ी पर बैठ कर पूरे शहर को देखना । अपनी ही आवाज़ को घाटी से टकराकर सुनना । मस्ती में झूमते बादलों को छूने की कोशिश करना । तुम भी होते तो अच्छा होता । तुम भी होते तो अच्छा होता । - अरुण कुमार सिंह

Rules are very boring | नियम बहुत बोरिंग होते हैं

सावन की शाम

" सावन की शाम " " ना दिन है ना रात है। दिन समाप्त होने को है और रात आने को है । दिन और रात के बीच का कुछ समय । जब सूरज बिदायी लेने के लिए तैयार और निशा आने को बेक़रार। सूरज अप नी लालिमा छोड़े जा रहा , निशा अपनी अँधेरा लाना चाह रही और आसमान अपनी हल्की हल्की बारिश की बूँदे बरसाने को बेक़रार । ये सारी प्रकृति का खेल एक साथ आसमान में चल रहा था " रति अपने गाँव के पुराने छत पे बैठ कर इस प्रकृति के अनोखे खेल में समायी जा रही थी। सामने खेत में धान के पौधे अपने बाल्यावस्था को छोड़ने को तैयार और किशोर अवस्था में जाने को बेरकरार थे । ठंडी ठंडी हवा के साथ धान के पौधे भी झूम रहे थे और हवा की लय में बहे जा रहे थे । सब मिल कर एक मधुर संगीत निकाल रहे थे । एक अलग ही संगीत जिसे केवल महसूस किया जा सकता । रति को ऐसा लग रहा था जैसे वह भी कोई परी बन जाए और " इन हरियाली भरे पौधों , ठंडी हवा , आसमान में लालिमा और काले बादल का एक साथ के अनोखे दृश्य " में समा जाए और इनके साथ झूमने लगे , खो जाए । सुबह के अलार्म ने रति को जगाया तब जा के वह अपने

क्रिकेट फ़ैन पति

"सुनो डार्लिंग सुबह हो गयी आज चाय नहीं दि रोज़ की तरह?" सुबह उठते ही शर्मा जी ने अपनी धर्मपत्नी को प्यार से जगाते हुए बोले। रजायी के नीचे से आवाज़ आईं "आज क्रिकेट मैच स्टार्ट होने वाला है?”। शर्मा जी ने जवाब दिया। हाँ और अपना दबाव दिखाते हुए बोला कि अभी मैच स्टार्ट होगा तुम लोग आज मुझे डिस्टर्ब मत करना और हाँ प्लीज़ चाय दे दो। "अरे उठो!! ख़ुद चाय बना लो और मेरे लिए भी बना देना।" रजायी के अंदर से आवाज़ आयी। आवाज़ में ज़रा सी तेज़ी बढ़ गयी थी। समय को भाँपते हुए और आज मैच भी देखना है सोंच कर चाय बना कर शर्मा जी ने ख़ुद ही पी ली और धर्मपत्नी जी को भी बेड टी दे दी। शर्मा जी बाथरूम जाने के लिए बाथरूम का दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहे थी लेकिन खुल नहीं रहा था। " इतने तेज़ तेज़ से दरवाज़े की कुंदी खिंचने से दरवाज़ा खुल नहीं जाएगा, जाओ तबतक वैकुम क्लीनर बेड रूम में चला दो बहुत धूल सी लग रही है फ़र्श पर ! " बाथरूम के अंदर से आवाज़ आयी । शर्मा जी से भी रहा नहीं गया। अरे यार !!! अभी तो बाथरूम ख़ाली था !!! तुम कब अंदर चली गयी? देखो मैच स्टार्ट होने

पैरेंट्स टीचर मीटिंग / Parents teacher meeting

“ राहुल !! बेटा उठ जाओ !! आज पैरेंट्स टीचर मीटिंग है तुम्हारे स्कूल में।” मैं भूल गई थी। पिछले हफ़्ते ही स्कूल से मैसेज आया था। अभी याद आया। जल्दी उठो हमें १ घंटे में जाना है। “ पता नहीं कैसा रिपोर्ट आया होगा !!! ऑफ़िस के काम की वजह से कुछ पढ़ा भी नहीं पायी थी । सीमा आलमारी में राहुल का स्कूल ड्रेस ढूँढते हुए मन ही मन बुदबुदा रही थी। समय से कुछ मिलता भी तो नहीं है। ये तुम अपने कपड़े किधर फेंक देते हो ? राहुल के उपर चिल्लाया। लेकिन तुरंत ही समझ आ गया कि बेचारे 8 साल के बच्चे को कितना ध्यान रहेगा !!” “ कैसे भी कर के स्कूल जाने को दोनो तैयार हो गए और स्कूल के लिए निकल पड़े। राहुल तो अभी भी नींद में ही था अध मने मन से चले जा रहा था। शायद उसको लग रहा था कि पूरे हफ़्ते में १ दिन की तो छुट्टी होती है !! “ संडे” और उसमें भी स्कूल जाना पड़ रहा है !!!” सीमा राहुल का हाथ पकड़ कर जल्दी जल्दी स्कूल के तरफ़ चले जा रही थी । स्कूल पहुँच कर क्लास रूम में हेड टीचर से अपने नम्बर का टोकेन ले कर बैठ गयी। “नयी हेड टीचर तो लग ही नहीं रही हैं कि टीचर है बिल्कुल मॉडर्न टीचर ! इत

प्राकृत की सुंदर आग़ोश

"प्राकृत की सुंदर आग़ोश" "बहू! बहू सुमित का फ़ोन आया है कश्मीर से! लो बात कर लो! वट्स ऐप पर विडीओ कॉल किया है।" सुमित के पिता ने सरिता को आवाज़ लगते हुए बुलाया । सरिता आवाज़ सुनते ही दौड़ते हुए पिता जी के कमरे में गयी और फ़ोन ले के शर्माती हुई छत पे चली गयी । " अभी ४ घंटे पहले ही तो फ़ोन किए थे! क्या हुआ? सब ठीक है ना? ” आर्मी में रहकर भी घर वालों को इतना याद कर लेते हैं! अच्छा हुआ कि आप इस बार घर आए थे तो मोबाइल फ़ोन ले आए उससे हमारी बात हो जाती है । और ऐसे लगता है कि आप यहीं हैं । छत पे बैठती हुई सरिता ने सुमित से बोलती चली गयी । "हाँ सब ठीक है ! अभी मेरी शिफ़्ट समाप्त हुई और अपने क्वॉर्टर में आ गया तो सोचा तुम लोगों से बात कर लूँ । यहाँ का मौसम इतना अच्छा है की मैं क्या बताऊँ! चारो तरफ़ सुंदर सुंदर पेड़ और रंग बिरंगे फूल। जैसे लगता है अगर स्वर्ग कहीं है तो यहीं है । सोच रहा हूँ अगले महीने छुट्टी ले कर तुमको यहाँ बुलाऊँ और हम ख़ूब मज़े करेंगे कश्मीर की वादियों में। फिर यहाँ ढेर सारी झील हैं और उसमें सुंदर सुंदर बोट हैं जिसमें हम बैठ क

तब जा के बना ये जय भारत

कुछ हमने सींचा, कुछ तुमने सींचा। सब मिलके सींचे, तब जा के बना ये जय भारत। कुछ हरा मिला, कुछ केशरिया मिला। जीवन का चक्र जब जा के मिला, तब जा के बना ये जय भारत । उत्तर से जब दक्षिण मिला, मिला पूरब से पश्चिम । कश्मीर से मिली जब कन्याकुमारी, तब जा के बना ये जय भारत। गोरे काले का भेद भुला कर, ऊंच नीच का द्वेष मिटा कर। एक साथ जब सब मिल जाते, तब जा के बना ये जय भारत। जब तुम बोले मैं समझा, जब मैं बोला तुम समझे। जब दोनों एक श्वर में बोले, तब जा के बना ये जय भारत। - अरुण सिंह